आज जाने-माने निर्देशक - अभिनेता चेतन आनंद साहब की पुण्य तिथि है। उन्होंने नीचा नगर, टैक्सी ड्राइवर, फंटुश, काला बाजार, हंसते ज़ख्म, हक़ीकत, आखिरी ख़त, हीर रांझा, हिंदुस्तान की कसम, कुदरत जैसी फिल्मों का निर्देशन किया। काला बाजार में अभिनय किया और हक़ीकत, आखिरी ख़त, कुदरत के वे स्कीन राईटर भी रहे।
हीर-रांझा की ख़ासियत यह है कि उसके संवाद गद्य शैली में न होकर पद्यात्मक हैं। कैफ़ी साहब के गीत तो लाजवाब हैं ही।
हक़ी़क़त के नाम पर ज़ेहन में झट से एक गीत आता है - अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो। और होके मायूस उसने हमें भुलाया होगा। इसके अलावा रफ़ी साहब की आवाज़ में एक बेहद सुंदर तराना है - मस्ती में छेड़ के तराना कोई दिल का।
1965 में फिल्म हक़ीक़त के लिए सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार तथा 1982 में कुदरत के लिए सर्वश्रेष्ठ कथा हेतु फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाज़ा गया।
3 जनवरी 1915 को जन्में चेतन आनंद 1944 से 1994 यानी 50 वर्षों तक सक्रिय रहे फिल्मों में। 6 जुलाई 1997 को 82 वर्ष की आयू में उनका निधन हुआ।
समवेत स्वर परिवार की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि।
प्रस्तुति - नीलम अंशु
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