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19 जुलाई 2010

1857 में आज़ादी हेतु
पहला बिगुल बजाने वाले
शूरवीर के आज जन्म दिन
के मौके पर उन्हें
हमारे श्रद्धा सुमन तथा
शत्-शत् प्रणाम !
अगर आप जैसे जांबाज शूरबीर
देश में न हुए होते,
तो आज हम कैसे आज़ाद
कहलाते और कैसे
खुली फ़िज़ा में साँस ले रहे होते ।
शत्-शत् नमन आपको मंगल पांडेय !

1 टिप्पणी:

  1. मंगल पांडेयजी को नमन। सच ही है, यदि हमारे ये जवान नहोते तो हम कहां होते।।

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