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14 अगस्त 2011

आसां है जाना महफ़िल से, कैसे जाओगे मगर हमारे दिल से......


ये दुनिया एक रंगमंच है, और इस रंगमंच पर हम अपने पूर्व निर्धारित शेडयूल के मुताबिक अपनी भूमिका निभाते हैं और रंगमंच से विदा लेते हैं।




सुबह 9-10 वाला प्रोग्राम चल रहा था AIR FM Rainbow पर। अचानक 9.40 पर स्टुडियो का इंटरकॉम बज उठा। दूसरी तरफ से Duty Officer ने सूचित किया -  अभी-अभी खबर आई है कि शम्मी कपूर नहीं रहे। अपने प्रोग्राम में यह सूचना प्रसारित कर दीजिए। उस वक्त गीत बज रहा था फ़िल्म 'अगर तुम न होते' से रेखा और शैलेन्द्र सिंह की आवाज़ों में - कल संडे की छुट्टी है..... गीत बीच में रोक कर शम्मी कपूर साहब के निधन की सूचना दी और श्रद्धांजलि स्वरूप  फ़िल्म जंगली का गीत  लता मंगेशकर और रफ़ी साहब की आवाज़ में प्ले किया : -


                               'दिन सारा गुज़ारा तेरे अंगना, अब जाने दे मुझे मोरे सजना
मेरे यार शब बखैर, मेरे यार शब बखैर...
                      आसां है जाना महफ़िल से, कैसे जाओगे मगर मेरे दिल से
   मेरे यार शब बखैर, मेरे यार शब बखैर...'


फिर पहले से चल  रहे प्रोग्राम को 10 बजे तक कंपलीट किया। और सवा दस बजे से 100.2  AIR FM Gold पर प्रसारित होने वाले 'सुनहरे दिन' प्रोग्राम के लिए दूसरे स्टुडियो की तरफ कूच किया। उस  सट्डियो में जाते ही फिर दूसरे Duty Officer का फोन आया कि इस प्रोग्राम में भी दो-तीन गीत शम्मी कपूर के बजा दीजिएगा। मैंने कहा, आप निश्चिंत रहें मुझे अगर कंप्यूटर पर Sufficient गीत मिल जाते हैं तो मैं पूरा प्रोग्राम ही शम्मी जी पर कर दूंगी। और फिर उन्हें पुन: श्रद्धा्ंजलि स्वरूप 11 बजे तक पूरा प्रोग्राम पेश किया और ज़्य़ादातर रफ़ी साहब के गाए गीत ही बजे।  इस दौरान  Duty Officer ने स्टूडियो में आकर कहा कि बहुत अच्छा प्रोग्राम जा रहा है। 


याद आ रहा है कि शम्मी जी को आख़िरी बार 31 जुलाई 2011 को रफ़ी साहब की पुण्यतिथि के अवसर पर टी.वी. प्रोग्राम में बोलते हुए देखा था। 7 अगस्त को उन्हें ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती किया गया, सात दिनों तक वेंटीलेशन पर रहने के बाद आज उनका शरीर साथ छोड़ गया। 

इसी तरह पहले भी ़एक बार लाइव परफॉर्म करते हुए अचानक 9.55 मिनट पर अंतिम गीत के वक्त ड्यूटी अफसर ने संगीतकार ओ. पी. नैय्यर के निधन की सूचना दी थी।

सही कहा है शायर ने कि 'आसां है जाना महफ़िल से, कैसे जाओगे मगर मेरे दिल से'। जी हां, कलाकार तो कभी भी हमसे जुदा नहीं होते, वे हमेशा अपने फ़न के माध्यम से हमारे बीच बने रहते हैं।

                                                                        शम्मी जी को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि।


                                                                                 प्रस्तुति - नीलम अंशु
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