सुस्वागतम्

समवेत स्वर पर पधारने हेतु आपका तह-ए-दिल से आभार। आपकी उपस्थिति हमारा उत्साहवर्धन करती है, कृपया अपनी बहुमूल्य टिप्पणी अवश्य दर्ज़ करें। -- नीलम शर्मा 'अंशु

20 जून 2023

 आज ही के 1999 में आकाशवाणी एफ एम रेनबो की ध्वनि तरंगों के ज़रिए कोलकाता की फिज़ाओं में.......


आज अपनी 24वीं सालगिरह है.... दिल से शुक्रिया मेरे रब्बा! 🙏🙏


ऐसी भी क्या आपा - धापी कि आप अपने शौक़ से जुड़े विशेष दिन को ही भुला दें और फेस बुक याद दिलाए!


(1)

आज ही के दिन, 20 जून 1999 को शाम 6 -7 बजे पहली बार  आकाशवाणी  FM Rainbow कोलकाता की ध्वनि तरंगों पर सवार होकर म्यूजिकल शो "छायालोक" के ज़रिए बतौर आर. जे. इस नाचीज़ की आवाज़ अपने श्रोताओं तक पहली बार पहुंची थी। ईश्वर का तह-ए-दिल से आभार। श्रोताओं के असीम स्नेह के लिए उनका आभार। मुझे भले याद न हो पर कुछ श्रोता दोस्तों को आज भी उन दिनों की कुछ विशेष प्रस्तुतियां याद हैं जिसे वे गाहे-ब-गाहे आज भी मुझे याद दिलाते रहते हैं। डॉक्टर दीपक पोद्दार साहब, मलय दा, माया दी, शीला दी बहुत याद आते हैं और अन्य बहुत से साथियों से जुड़ी बहुत सी हसीन यादें हैं। लगता है जैसे कल की बात हो।

अब 2016 से FM Rainbow दिल्ली का साथ मिला है। शुक्रिया मेरे रब्बा। शुक्रिया दिल से आकाशवाणी!


(2) साडी कुड़ी कित्थे गई।...........

कल (19 जून, 2012) शाम कोलकाता से 'भाई जी' (मित्तल साहब) का फोन आया - कल कहाँ थी? मैंने तपाक से जवाब दिया कि मैं तो आपके शहर में हूं ही नहीं। (दरअसल मैंने सोचा कि शायद उन्होंने फोन किया होगा और कनेक्ट नहीं हो पाया होगा तभी ये सवाल किया गया है।) उन्होंने कहा, अरे कल हमने प्रोग्राम चलाया एफ. एम. पर तो देखा कि किसी और की ही आवाज़ है। मैंने सोचा, ओ साडी कुड़ी कित्थे गई, चलो पता करते हैं। दरअसल सबको पता है कि मैं हर सोमवार की शाम 'आज की शख्सीयत' प्रोग्राम लेकर आती हूँ और नियमित सुनने वालों को तो मैंने ऑन एयर बता दिया था कि आज की शख्सीयत लेकर अगली मुलाकात होगी 2 जुलाई को और इस बीच दो सोमवारों का विराम। भाई जी नियमित तो प्रोग्राम नहीं सुनते हैं लेकिन जिस दिन मैं नहीं थी उसी दिन उनका सुनने का मन हुआ । चलिए लोगों ने हमारी कमी तो महसूस की । (20/06/2012)


(3) 2007 में किसी एक दिन अपना काम ख़त्म करने के बाद ड्यूटी रूम में मैं मलय दा से बात कर रही थी। उसी समय शाम के शो के लिए मेरी एक जूनियर को - आर जे अपनी प्रस्तुति के लिए अलमारी से CDs का अपना बंच उठा कर चुपचाप निकल जा रही थी तो मलय दा ने उसे टोकते हुए कहा, ..... ये तुम्हारे हिंदी प्रोग्राम की को - आर जे नीलम शर्मा हैं। जानती हो इनको? उसने तुरंत कहा - इनका हेयर स्टाइल चेंज हो गया है न..... उन्होंने तुरंत कहा, हेयर ज़रा से छोटे - बड़े हो जाने से इंसान की शक्ल बदल जाती है क्या? उसने सॉरी सॉरी कहा। उसके जाने के बाद मलय दा ने कहा, "देखो तो सही उसने तुम्हें नॉक तक नहीं किया, इसीलिए मैंने जान - बूझ कर उसे टोका। उसका ये रवैया मुझे अच्छा नहीं लगा।" मैंने कहा, छोड़िए न, क्या फ़र्क पड़ता है। जिस दिन मेरी प्रस्तुति मलय दा को बहुत पसंद आती कहते, ता होले एखुन तुमि कि एकटू चा खाबे? उन्हें पता था कि मुझे कैंटीन की चाय पसंद नहीं। फिर भी कभी - कभी उनका मान रखने के लिए मैं कहती, जी आज तो पी ही लेती हूं।  

कई बार शख्सियत वाले prog में वे इंतज़ार करते, फिर स्टूडियो में आकर कहते, वो वाला गाना बजाओगी न? अगर वह गाना प्ले लिस्ट में शामिल होता तो कहती कि बजेगा, और नहीं होता तो कहती आपको सुनना है, अच्छा अभी बजा देती हूं। सचमुच ऐसे ड्यूटी ऑफिसर को भला कोई भुला सकता है.... भले ही वे अब हमारे बीच मौजूद नहीं हैं।

(4) एक रोचक बात यह भी कि जब 2012 में हर सोमवार को "आज की शख्सियत" प्रोग्राम पेश करना शुरू किया तो तत्कालीन पैक्स दीपक पोद्दार सर पूछा करते कि आपके दोस्तों की क्या प्रतिक्रिया होती है, मैं कहती कि वे FM नहीं सुनते। लगभग साल भर बाद एक दिन पोद्दार सर ने कहा कि क्या नीलम जी आपकी प्रस्तुति के अगले दिन मीटिंग में मुझे हमेशा सबको कॉफी पिलानी पड़ती है, आपको excellent ग्रेडिंग जो मिलती है हर बार। कमाल है 12/13 सालों की निरंतर प्रस्तुति के बाद पता चला कि परफॉर्मेंस के लिए ड्यूटी ऑफिसर द्वारा ग्रेडिंग भी दी जाती है। कभी किसी ने बताया ही नहीं। ख़ैर, परफॉर्मेंस/ कार्य निष्पादन से जब खुद को संतुष्टि मिले कि हां मैंने अपना शत - प्रतिशत देने की बेहतरीन कोशिश की तो उससे बड़ा पुरस्कार क्या है। किसी ने यह भी कहा था कि अपना लहज़ा बदलो, पर पोद्दार सर ने कहा कि बिलकुल नहीं, जो आपकी स्वाभाविकता है वही आपकी पहचान है, इसे बिलकुल मत बदलना।

                $$$$


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें