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03 अक्टूबर 2010

कोलकाता, आमी तोमाके भालोबाशी !

तस्वीरें बोलती हैं .......


1 )  रानी रासमणी एवेन्यू से राजभवन की तरफ जाने पर दाहिनी तरफ के छोटे

पार्कों में कुछ महान व्यक्तित्वों की मूर्तियां स्थापित हैं। 

02 अक्तूबर को दोपहर सवा एक बजे विद्यासागर जी की मूर्ति तथा संलग्न

अन्य मूर्तियों के समक्ष नज़ारा देखने लायक था। मज़े की बात

तो यह है कि ये पार्क सार्वजनिक पार्क भी नहीं हैं।

फिर लोगों ने कैसे भीतर प्रवेश

कर गंदगी फैलाई।

छुट्टी के दिन का यह मतलब तो क़तई नहीं।

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2)    11 सितंबर 2010 की सुबह आठ बजे तस्वीर नं. 1 में  ईद             

          की नमाज से पूर्व रानी रासमणी रोड/धर्मतल्ला इलाके 

           की साफ-सुथरी सड़क का परिदृश्य। शेष अन्य 

          तस्वीरो में नमाज के बाद का दृश्य सुबह 11.15  बजे।

               सड़क पार करते वक्त वाहनों के आवागमन से

             कागज़ हवा में इधर से उधर लहरा रहे थे।

              नमाज अदायगी के बाद लोग कागज़ों को

             सड़क पर हवा खाने के लिए छोड़ गए।
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3)    मेट्रो रेल परिसर में पीक फेंकने तथा थूकने पर  250/- रुपए का
       
जुर्माना लगता है। आज तक किसी को लगा या नहीं, पता नहीं।
      
मेट्रो के भीतर सीढियों की दीवार पर पीक नज़र आना आम बात है।

        सफाई कर्मी साफ़ करते पाए जाते हैं, अगले दिन फिर ज्यों की

       त्यों स्थिति। अंदर फोटोग्राफी निषेध है तो हमने बाहरी परिसर

   की तस्वीरें लीं। ताज़ा रंग-रोगन वाली दीवारें 

हाल-ए-बयां खुद ही करते हुए कहती हैं

कि शहरवासी नहीं सुधरने वाले।

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