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12 जनवरी 2010

नव वर्ष का Resolution या संकल्प !

पहले नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। नव वर्ष आपके जीवन में नई उमंगे लाए और नए प्रकाश का संचार करे।

रही बात नव वर्ष पर resulutions की तो यह बात मुझ पर बिलकुल लागू नहीं होती है। अगर मैं व्यक्तिगत रूप से अपनी बात कहूं तो यही कहूंगी कि ये मुझे लगता है कि इसका सीधा-सादा अर्थ है संकल्प लेना या खुद से कोई वाद करना। Ist jan. को मैं ऐसा कुछ नहीं करती।

पहली बात तो यह है कि जहां तक New Year की बात है तो यह एक अहसास है, Feeling है कि समय का चक्र एक पायदान और आगे बढ़ गया। नव वर्ष में नया क्या है होता है। सिर्फ़ कैलेंडर ही तो बदलता है और बदलती है तारीख। वही रातें होती हैं, वही दिन होते हैं, वही सूरज होता है, वही चांद-तारे होते हैं। मैं पंजाबी के कवि स्व। आस्सी के कुछ पंक्तियां कोट करना चाहूंगी -

हर साल
चाहते हैं हम
लड़ना
हंसना
रूठना
परंतु
कुछ भी नहीं बदलता
बदलता है दीवार का कैलेंडर
उसी कील,
उसी निशान के हाशिए पर।

यानी सब कुछ वही है, नया है सिर्फ़ मन का अहसास। मेरा मानना है कि काम करने का कोई बहाना नहीं, काम न करने के सौ बहाने। मैं कोई resolutions नहीं बनाती, planings नहीं करती। बस ख़ामोशी से काम करते जाती हूं। हां, जो काम जब-जब जैसे-जैसे सामने आता जाता है, priority के आधार पर उन्हें निपटाती जाती हूं। मेरे विचार में resolutions का मतलब है अपने से वादा या moral pressure डालना। मुझे लगता है कि इसकी ज़रूरत तब पड़ती है जब हम अपने कामों के प्रति या खुद के प्रति ईमानदार नहीं रह पाते हैं।

कहा गया है कि काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। मेरे विचार में resolutions कमज़ोर व्यक्तियों का सुदृढ़ हथियार हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि आप चाहकर भी किसी काम को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाते। इनसे कुछ हद तक हमें आज का काम कल पर टालने की कुप्रेरणा मिलती है। लेकिन, अगर कुछ लोग resolutions का सहारा लेकर काम को अंजाम दे देते हैं तो बहुत अच्छी बात है।

मैं अपने द्वारा creat किए गए प्रेशर में काम करती हूं। उसकी मुख्य वजह है कि मेरी सक्रियता विभिन्न क्षेत्रों में हैं। हर क्षेत्र की मांग के अनुसार मुझे उस काम को समय देना पड़ता है। ऐसे में समय-सीमा को देखते हुए काम की importance को देखते हुए मैं priority आधार पर उसे पूरा करने की कोशिश करती हूं। जैसे कि मैं अपनी पसंद से एक बांग्ला पुस्तक के अनुवाद का काम कर रही थी लेकिन बीच में प्रकाशक की तरफ से किसी दूसरी पंजाबी पुस्तक के अनुवाद का assignment आ गया तो उसकी priority को देखते हुए मुझे पहली पुस्तक के काम को रोक कर पंजाबी पुस्तक का काम पूरा करना पड़ा। सोचा था सितंबर में पूरा हो जाएगा परंतु चाह कर भी पूरा न हो सका। ऑफिस की व्यस्तताएं भी बहुत थीं। ख़ैर तीन C/L और एक R/H शेष थी यानी 24 दिसंबर की R/H, 25 को क्रिसमस की छुट्टी 26-27 को शनिवार, इतवार 28 को मुहर्रम की छुट्टी थी। 29, 30, 31 की C/L ली और 1 जनवरी को पुनः R/H और 2, 3 जनवरी को शनिवार, इतवार यानी कुल मिलाकर 12 छुट्टियां। उसके बाद फिर वही रोज़ की आपा-धापी। तो 23 दिसंबर से अनुवाद काम में लगकर उसे पूरा करने का निश्चय किया और अंततः तीन जनवरी की रात 2 बजे सारे पेज पूरे कर डाले, जो इतने महीनों से आगे बढ़ने का नाम नहीं ले रहे थे। उस वक्त मुझे लग रहा था जैसे मैंने सचमुच कुछ अचीव कर लिया है। मुझे खुशी है कि मैंने इयर एंडिंग की छुट्टियों में सारा-सारा दिन कंप्यूटर पर बैठक कर उस काम को ख़त्म कर लिया जबकि मैंने इसके लिए कोई resolution नहीं बनाया था। मैंने इस काम को अगले साल पर नहीं टाला। समय निकालकर उसे पूरा किया।

कुछ हद तक मुझे लगता है कि हमें अपनी इच्छा शक्ति पर विजय पानी चाहिए, उसे कमज़ोर नहीं पड़ने देना चाहिए ताकि resolution का सहारा न लेना पड़े। बगैर resolution के ही हमें कामों को अंजाम देने की आदत डालनी चाहिए, योजनाबद्ध तरीके से अपनी प्राथमिकताएं तय कर लेनी चाहिएं ताकि किसी तरह मन को यह कहकर दिलासा न देना पड़े कि
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के,

कांटो पे चल के मिलेंगे साए बहार के।

Resolutions तो बनाए ही इसलिए जाते हैं कि उन्हें तोड़ा जा सके, थोड़ी सी छूट का बहाना और मिल सके। कुल मिलाकर यही कहूंगी कि

वादे तो टूट जाते हैं, कोशिशें कामयाब होती हैं।


- नीलम शर्मा ‘अंशु’

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