आज हिन्दी फिल्म जगत के दो कलाकारों का जन्मदिन है। वे दोनों बंगाल में भी सक्रिय रहे।
पहले याद करना चाहूंगी संगीतकार, गायक, निर्माता हेमंत कुमार जी को। आज ही के दिन यानी 16 जून 1920 को उनका जन्म हुआ था और 26 सितंबर 1989 को निधन। उन्हें हमारी श्रद्धांजलि।
आज मिठुन दा (चक्रवर्ती) का भी भी जन्म दिन है। उन्हें बहुत-बहुत हार्दिक शुभ कामनाएं तथा मंगल कामनाएं।
कल 107 AIR FM Rainbow पर आपके खत आपके गीत प्रोग्राम के तहत् एक ख़त में बेहाला से उत्पल माईती के ख़त में मिठुन जी की फिल्म मैं बलवान के गीत पहले रॉक ऐंड रॉल की फरमाईश आई थी। मैंने वो गीत बजा कर मिठुन दा को जन्म दिन की शुभ कामनाएं दी थीं। फेस बुक पर मैंने उनकी फिल्म दाता से गीत बाबुल का ये घर बहना का लिंक डाल कर उन्हें शुभ कामनाएं दीं।
फेस बुक पर मैंने हेमंत कुमार जी के फिल्म नागिन के गीत तेरे द्वार खड़ा इक जोगी का लिंक डाल कर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। संजीब शर्मा उज्जैन, रजनी जी, मधु जी, धीरेन्द्र जी, हितेन्द्र जी, मुकुंद जी, राजेश बजाज, राजेश एन., प्रजुक्ति, आलोक दत्ता, आशुतोष जी आदि दोस्तों ने उस लिंक को पसंद किया।
रत्नेश जी के साथ इस सिलसिले में खेल-खेल में हेमंत जी के गीतों की अच्छी खासी लड़ी तैयार हो गई, जिसे मैं हु-ब-हु यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ : -
रत्नेश - ज़रा नज़रों से कह दो जी, निशाना चूक न जाए....
अंशु - ज़िंदगी प्यार की दो-चार घड़ी होती है ।
छुपा लो यूं दिल में प्यार मेरा, के जैसे
छुपा लो यूं दिल में प्यार मेरा, के जैसे
मंदिर में लौ दीये की।
रत्नेश - ये रात ये चांदनी फिर कहाँ, सुन जा दिल की।
अंशु - बेकरार करके हमें यूं न जाईए....
रत्नेश - याद किया दिल ने कहाँ हो तुम..
अंशु - मैं ग़रीबों का दिल, वतन की ज़ुबां।
रत्नेश - है अपना दिल तो आवारा ...
अंशु - सुन जा दिल की दास्तां।
रत्नेश - ये नयन डरे-डरे...
र रत्नेश - हार मान लो तो कुछ और गीत बताऊँ।
अंशु - क्यों मानूं ।
रत्नेश - तो फिर हेमंत के और गीत बताओ...
अंशु - चली गोरी पी से मिलन को।
र रत्नेश - तुम्हें याद होगा कभी हम मिले थे..।
अंशु - न ये चांद होगा/ न तुम हमें जानो।
रत्नेश - न तुम हमें जानो, न हम तुम्हें जाने।
अंशु - वो तो मैंने कह दिया ।
रत्नेश - जाने वो कैसे लोग थे..।
अंशु - ओ नींद न मुझको आए।
अंशु - हार की बात नहीं। ये अंताक्षरी कब तक चलेगी?
र रत्नेश - जब तक कोई नहीं हारता।
अंशु - ओ ज़िंदगी के देने वाले।
र रत्नेश – जाने वो कैसे लोग थे जिनको...
अंशु - ये तो आप कह चुके हैं।
र रत्नेश - तुम्हीं मेरे मीत हो...
अंशु - एक बार ज़रा फिर कह दो /गंगा आए कहां से।
र रत्नेश – राह बनी खुद मंजिल...
अंशु - जन्म से बंजारा हूं बंधु।
रत्नेश – चलो मैं हार मान लेता हूँ, पर इस हार में भी जीत है..
हेमंत के कुछ भूले-बिसरे गाने इकट्ठे हो गए।
हेमंत के कुछ भूले-बिसरे गाने इकट्ठे हो गए।
अंशु - सही में। अच्छा किया मुझे भी थोड़ी देर में मीटिंग में जाना है।
प्रस्तुति - नीलम अंशु
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