आज स्व. बलराज साहनी जी का जन्म दिन है। उन्हें हमारी श्रद्धांजलि। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। बेहद उम्दा अदाकार के साथ-साथ वे साहित्य सर्जक भी थे। उनके भाई भीष्म साहनी ने जहां हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया वहीं उन्होंने पंजाबी में साहित्य रचना की। पहले वे अंग्रेजी में लिखा करते थे। शांतिनिकेतन में गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर के प्रोत्साहन पर कि साहित्य सृजन व्यक्ति को अपनी मातृभाषा में करना चाहिए, वे पंजाबी की तरफ उन्मुख हुए। 2004 में उनकी सहधर्मिणी श्रीमती संतोष साहनी जी से मुंबई में उनके आवास पर मिलने का मौका मिला था।
बलराज साहब पर फिल्माया नीलकमल फिल्म में बाबुल की दुआएं लेती जा तथा वक्त का ऐ मेरी ज़ोहराज़बी मेरे पसंदीदा गीतों में से हैं।
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