दो वर्षों का सफ़र
कल 23 अप्रैल को समवेत स्वर ने ब्लॉगिग का अपना दो वर्षों का सफ़र पूरा कर लिया। यकीन ही नहीं होता, लगता है मानो कल की बात है। इसके जन्म की कहानी भी दिलचस्प है। उन दिनों कोलकाता में तैनात वीरन्द्र राय जी ने एक मेल भेजकर उनका बलॉग खरोंचे पर दृष्टिपात करने का अनुरोध किया था। बस, खरोंचे में उनकी कविताएं पढ़ीं और वहाँ क्या आप अपना ब्लॉग बनाना चाहते हैं का ऑप्शन देख कर बस सिलसिलेवार क्लिक करते-करते अपना बलॉग बना डाला। फिर चिंता हुई कि इस पर लिखा क्या जाए। ख़ैर यह थी शुरूआत और नन्हें-नन्हें क़दमों से समवेत स्वर ने आगे बढ़ना शुरू किया।
उत्साहवर्धन तथा सफ़र में हमसफ़र बनने हेतु आप सभी दोस्तों का बहुत-बहुत आभार।
चलते-चलते कट जायें रस्ते ...
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई!