सुस्वागतम्

समवेत स्वर पर पधारने हेतु आपका तह-ए-दिल से आभार। आपकी उपस्थिति हमारा उत्साहवर्धन करती है, कृपया अपनी बहुमूल्य टिप्पणी अवश्य दर्ज़ करें। -- नीलम शर्मा 'अंशु

24 अप्रैल 2011

अतीत के झरोखे में

दो वर्षों का सफ़र 



कल 23 अप्रैल को समवेत स्वर ने  ब्लॉगिग का अपना दो वर्षों का सफ़र पूरा कर लिया। यकीन ही नहीं होता, लगता है मानो कल की बात है। इसके जन्म की कहानी भी दिलचस्प है। उन दिनों कोलकाता में तैनात वीरन्द्र राय जी ने एक मेल भेजकर उनका बलॉग खरोंचे पर दृष्टिपात करने का अनुरोध किया था। बस, खरोंचे में उनकी कविताएं पढ़ीं और वहाँ क्या आप अपना ब्लॉग बनाना चाहते हैं का ऑप्शन देख कर बस सिलसिलेवार क्लिक करते-करते अपना बलॉग बना डाला। फिर चिंता हुई कि इस पर लिखा क्या जाए। ख़ैर यह थी शुरूआत और नन्हें-नन्हें क़दमों से समवेत स्वर ने आगे बढ़ना शुरू किया। 



उत्साहवर्धन तथा सफ़र में हमसफ़र बनने हेतु  आप सभी दोस्तों का बहुत-बहुत आभार।

1 टिप्पणी: