आज 15 सितंबर दूरदर्शन का स्थापना दिवस है। आज ही के दिन 1959 में दूरदर्शन का प्रसारण आरंभ हुआ था। 1959 से 1962 तक रिकॉर्डिंग की व्यवस्था न होने के कारण प्रोग्राम लाईव पेश किए जाते थे।
आज बहुत से गैर हिन्दी भाषी व्यक्ति टी. वी. चैनेलस् के धारावाहिको को श्रेय देते हैं कि इनकी वजह से हम हिन्दी सीख पा रहे हैं। लेकिन इसकी पहल तो दूरदर्शन से हुई। दूरदर्शन ने साहित्य को आम आदमी से जोड़ा। श्रेष्ठ साहित्यिक कृतियो को धारावाहिक रूप में प्रस्तुत किया। दूरदर्शन से प्रसारित पहला धारावाहिक था प्लेटफार्म जिसका निर्देशन गंगाधर शुक्ल ने किया था। 1982 में दूरदर्शन से रंग जुड़े। हमलोग पहला रंगीन धारावाहिक था।
याद कीजिए, वे दिन भी क्या दिन थे जब हम बेसब्री से चित्रहार, रंगोली और शनिवारी हिन्दी फ़िल्म का इंतज़ार किया करते थे।
रामायण, महाभारत के वक्त तो लोग घरों में सिमट जाया करते थे, सड़कें और बाज़ार की दुकानें तक सूनी हो जाया करती थीं।
आजकल टी.वी. देखने का ज़्यादा वक्त नहीं मिलता, सिर्फ़ समाचार ही देख पाती हूँ। हां, अब भी हर रविवार को रंगोली ज़रूर याद से देखती हूँ।
अब तक दूरदर्शन ने 51 वर्षों का सफ़र तय कर लिया है।
21 अगस्त को कोलकाता दूरदर्शन ने अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूरे किए।
आज महान साहित्य शिल्पी शरत चन्द्र का जन्म दिन भी है।
आज इंजिनियर दिवस भी है।
प्रस्तुति - नीलम शर्मा अंशु
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