तेरी मेरी उसकी बात - 2
इस कॉलम में शायर और कवि इमरोज़ के बाद प्रस्तुत है, श्री के. प्रमोद जी की कविताएं जो कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर, विशेष परंतु प्रासांगिक हैं आज के संदर्भ में :-
इस कॉलम में शायर और कवि इमरोज़ के बाद प्रस्तुत है, श्री के. प्रमोद जी की कविताएं जो कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर, विशेष परंतु प्रासांगिक हैं आज के संदर्भ में :-
(1)
बापू के बंदर
तीन बंदर,
तीन बातें
बापू की -
मिटने दो सिंदूर,
टूटने दो चूड़ियां,
- बस बुरा मत देखो।
चलने दो गोली,
होने दो चीत्कार,
बच्चों के सीत्कार,
- बस बुरा मत सुनो ।
तुम्हें क्या ?
कोई कुछ कहे
कहीं मरे - कोई मारे
चुप - एक चुप
सौ सुख
बुरा मत कहो
बापू ने कहा था ।
तुम्हें जीना है न ?
चुप्पी साध लो
आँखें मूंद लो
रुई डाल लो
कानों में ।
होने दो
जो होता है
तुम्हें क्या
मत सुनो
मत देखो
मत कहो ।
(2)
सत्यम्
वह झूठ
जो हम रोज़ सुनते हैं
बोलते हैं
फ़िर भी स्वीकारते हैं।
शिवम्
उपरोक्त
सत्य
जो हम
स्वीकारते हैं।
सुंदरम्
स्वीकारना
वह सब
नतमस्तक हो
सब जानते हुए
अनजान बन।
o संक्षिप्त परिचय
हिन्दी विकास परिषद, चंडीगढ़ के संस्थापक एवं साहित्य संपादक रहे।
कई वर्षों तक साइक्लोस्टाइल पत्रिका 'विकास' का संपादन।
बापू के बंदर
तीन बंदर,
तीन बातें
बापू की -
मिटने दो सिंदूर,
टूटने दो चूड़ियां,
- बस बुरा मत देखो।
चलने दो गोली,
होने दो चीत्कार,
बच्चों के सीत्कार,
- बस बुरा मत सुनो ।
तुम्हें क्या ?
कोई कुछ कहे
कहीं मरे - कोई मारे
चुप - एक चुप
सौ सुख
बुरा मत कहो
बापू ने कहा था ।
तुम्हें जीना है न ?
चुप्पी साध लो
आँखें मूंद लो
रुई डाल लो
कानों में ।
होने दो
जो होता है
तुम्हें क्या
मत सुनो
मत देखो
मत कहो ।
(2)
सत्यम्
वह झूठ
जो हम रोज़ सुनते हैं
बोलते हैं
फ़िर भी स्वीकारते हैं।
शिवम्
उपरोक्त
सत्य
जो हम
स्वीकारते हैं।
सुंदरम्
स्वीकारना
वह सब
नतमस्तक हो
सब जानते हुए
अनजान बन।
o संक्षिप्त परिचय
हिन्दी विकास परिषद, चंडीगढ़ के संस्थापक एवं साहित्य संपादक रहे।
कई वर्षों तक साइक्लोस्टाइल पत्रिका 'विकास' का संपादन।
कविताएं यत्र-तत्र प्रकाशित।
संप्रति - बैंक अधिकारी।
प्रस्तुति - नीलम शर्मा 'अंशु '/02-10-2009
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