tag:blogger.com,1999:blog-4845840091082684547.post4229660034484083679..comments2023-06-19T04:12:12.038-05:00Comments on समवेत स्वर - Samvet Swar: हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह ।नीलम शर्मा 'अंशु'http://www.blogger.com/profile/14900740334956197090noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-4845840091082684547.post-14836643224381524342011-06-08T02:00:59.991-05:002011-06-08T02:00:59.991-05:00भावनाओं की कद्र इस दुनिया में कम ही लोग जानते हैं ...भावनाओं की कद्र इस दुनिया में कम ही लोग जानते हैं तभी लोग रिश्ते तो बना लेते हैं पर उन्हे निभाना बहुत मुश्किल होता है - इसी ब्लॉग पर पिछली एक पोस्ट के संदर्भ में पवन शर्मा जी ने यह टिप्पणी की थी।नीलम शर्मा 'अंशु'https://www.blogger.com/profile/14900740334956197090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4845840091082684547.post-26009906021844694472011-06-04T00:33:40.356-05:002011-06-04T00:33:40.356-05:00शुक्रिया अनुराग जी।शुक्रिया अनुराग जी।नीलम शर्मा 'अंशु'https://www.blogger.com/profile/14900740334956197090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4845840091082684547.post-81133003770966971652011-06-04T00:31:19.006-05:002011-06-04T00:31:19.006-05:00यह भी एक संयोग ही है कि इस वक्त कोलकाता वापसी के द...यह भी एक संयोग ही है कि इस वक्त कोलकाता वापसी के दौरान मेरे साथ वाली सीट पर बैठा बच्चा गुनगुना रहा है - बड़े चेते आंउदे ने, यार अनमुल्ले, हवा दे बुल्ले। मैंने उससे पूछा के आपने यह गाना कहाँ सुना। उम्मीद थी कि वह कहेगा टी. वी. पर। परंतु जवाब मिला मैं फिरोजपुर में रहता हूँ। ये बच्चा यानी शुभम उपाध्याय क्लास टू में पढ़ता है और उस वक्त अपने गृहनगर बनारस जा रहा है। उसकी गुनगुनाहट ने फिर से दोस्तों की यादें ताज़ा कर दी।नीलम शर्मा 'अंशु'https://www.blogger.com/profile/14900740334956197090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4845840091082684547.post-40939233660474363412011-06-02T22:56:53.565-05:002011-06-02T22:56:53.565-05:00सोचा था मुलाक़ात होगी दोस्तों के साथ
ये हो न सका द...सोचा था मुलाक़ात होगी दोस्तों के साथ<br />ये हो न सका दोस्त मेरे हैं बडे मसरूफSmart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com