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27 सितंबर 2010

सुर साम्राज्ञी लता जी के जन्म दिन पर विशेष !




 वह शख्सीयत नहीं है जो हर सदी या दो सदियों में हुआ 
करती है।यह बड़े भाग्य की बात है कि हमारी हस्ती उनके साथ 
बनी हुई है। 12 सुरों पर उसका नियंत्रण मुग्ध कर देने वाला 
रहा है। मेरी बहन है इस, नाते तारीफ़ नहीं कर रहा हूँ मैं।  
परंतु नहीं, महाभारत में एक ही कृष्ण हुए हैं। उसी तरह भारत
में सिर्फ़ एक ही लता हुई हैं। 
कहते हैं -  भाई हृदयनाथ मंगेशकर।


 सदियों में पैदा होने वाली आवाज़ और गुज़री सदी की 
  बिलाशक श्रेष्ठतम आवाज़ है जिससे ये सदी भी धन्य हुई है।
  पड़ोसी राष्ट्र के मेरे एक मित्र कहते हैं कि हमारे मुल्क़ में वह
  सब है जो भारत में आप लोगों के पास है, बस नहीं हैं तो 
  सिर्फ़ ताजमहल और लता मंगेशकर। अमिताभ बच्चन।

 बकौल जगजीत सिंह  बीसवीं शताब्दी में सिर्फ़ तीन चीज़ें 
याद की जाएंगी  लता मंगेशकर का जन्म, मनुष्य का चंद्रमा
की धरती पर क़दम रखना और बर्लिन की दीवार टूटना।


 बहन आशा भोंसले के अनुसार 
जब बड़ी गाती है तो लगता है कि मंदिर की घंटियां बज उठी 
हों। मैं तो बचपन से उस के साथ रही हूँ। क्या कहूँ स्वर्ग से 
अपदस्थ अप्सरा है जिसे शापवश स्वर्ग से धरती पर फेंक दिया
गया है लेकिन शाप देते हुए देवगण शायद उसकी दिव्य आवाज़
छीनना भूल गए हैं। और रास्ता भटक वह ग़लती से हमारे बीच 
आ गई है। उसकी आवाज़ की मिठास, उसके उच्चारण, फ़िर चाहे
किसी भी भाषा में गा रही हो सुनते ही बनते हैं।




 जिस तरह फूल की खुशबू का कोई रंग नहीं होता, वह 
महज़ खुशबू होती है, जिस तरह बहते हुए पानी के झरने
या ठंडी हवाओं का कोई घर, देश नहीं होता, जिस तरह 
उभरते हुए सूरज की किरणों या मासूम बच्चे की मुस्कराहट
का कोई भेदभाव नहीं होता वैसे ही लता मंगेशकर की आवाज़
कुदरत की तहलीक का करिश्मा है। कहते हैं दिलीप कुमार।


० बकौल जावेद अख़्तर,- 
पृथ्वी पर एक सूर्य हैएक चंद्रमा और एक लता।



० अगर ताजमहल दुनिया का सातवां आश्चर्य है तो लता आठवां।
  कहना है उस्ताद अमज़द अली ख़ाँ का ।



० लता जी के गाए गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगो’ को बहुत
 शोहरत मिली लेकिन उसके गीतकार को लोग भूल से गए हैं।
 इस गीत को लता के नाम से जाना जाता है लेकिन गीतकार 
पंडित प्रदीप का कोई ज़िक्र भी नहीं करता। कहा यह भी जाता
 है कि इसे पहले आशा भोंसले गाने वाली थीं , फ़िर बाद में
 दोनों बहनों द्वारा गाया जाना तय हुआ लेकिन यह बाद में 
लता जी की झोली में चला गया।


कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि देश विभाजन के 
परिणामस्वरूप नूरजहाँ अगर पाकिस्तान न चली गई
 होतीं तो शायद लता मंगेशकर का सफ़र इतना
 आसां नहीं होता। याद कीजिए उनके शुरुआती दौर
 के गीतों का अंदाज़ बिलकुल वैसा ही था।

ऐसे में हम आज के दिन उनके दीर्घायु होने की कामना
करते हुए यही कहेंगें कि तुम जीओ हज़ारों साल ...... 
और इस बात से कोई इन्कार नहीं कर सकता कि


 न भूतो न भविष्यति
स्वर्ग की अपदस्थ अप्सरा
राष्ट्र की आवाज़
कोकिल कंठी
स्वर किन्नरी
गंधर्व स्वर
संगीत साम्राज्ञी
जीवंत किंवदंती ! 

उन्हें चाहे ऐसी कितनी ही उपमाएं
अलंकरण, संबोधन या 
उपाधियां दी जाएं

सत्य यही है कि वे लता मंगेशकर हैं।

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